समय की डिमान्ड (माता-पिता )पेरेंट्स बन जाये अपने बच्चों के दोस्त :-
हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी परवरिश देना चाहते है और देते भी है। पेरेंट्स का लाइफ, उनका कॅरिअर चाहे कितना भी स्ट्रगलिंग क्यों न हो फिर भी वह हर संभव प्रयास करते है अपने बच्चे को खुश रखने के लिए और बेहतरीन शिक्षा मिले बच्चे को, उसकी हर जरूरते पूरी हो यानी जो कुछ उनसे हो सकता है वो सब कुछ करने की कोशिश करते है। बच्चा जब तक छोटा है तब तक तो सब अच्छा रहता है लेकिन जैसे जैसे बड़ा होता है धीरे धीरे घर का माहौल बदलने लगता है। कुछ कमिया बच्चे की पैरेंट को खलती है तो कुछ पैरेंट की गलतिया बच्चो को। माता -पिता और बच्चे में ताल - मेल कम होने लगता है शिकवा -शिकायतें बढ़ने लगती है।
हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी परवरिश देना चाहते है और देते भी है। पेरेंट्स का लाइफ, उनका कॅरिअर चाहे कितना भी स्ट्रगलिंग क्यों न हो फिर भी वह हर संभव प्रयास करते है अपने बच्चे को खुश रखने के लिए और बेहतरीन शिक्षा मिले बच्चे को, उसकी हर जरूरते पूरी हो यानी जो कुछ उनसे हो सकता है वो सब कुछ करने की कोशिश करते है। बच्चा जब तक छोटा है तब तक तो सब अच्छा रहता है लेकिन जैसे जैसे बड़ा होता है धीरे धीरे घर का माहौल बदलने लगता है। कुछ कमिया बच्चे की पैरेंट को खलती है तो कुछ पैरेंट की गलतिया बच्चो को। माता -पिता और बच्चे में ताल - मेल कम होने लगता है शिकवा -शिकायतें बढ़ने लगती है।
जनरेशन गैप होने की वजह से बच्चे को लगता है मेरे मम्मी - पापा मुझे समझते नहीं है। एक तरफ पेरेंट्स को लगता है मेरा बच्चा पहले जैसा नहीं रहा। पुराने ज़माने में बड़े अपनों से छोटे से फासले बनाते थे ताकि छोटे उनकी कदर करें। लेकिन अब समय बदल गया है आज समय की डिमांड है कि उनके बड़े , उनके पेरेंट्स उनसे दोस्त बन कर पेश आये नहीं तो बच्चे अपने पैरेंट से थोड़ी दूरिया बना लेते है। उनको समय कम देते है जिससे दोनों की लाइफ में डिस्टर्बेन्स क्रिएट होता है।
बच्चों से रिश्ता मजबूत करने के लिए उनसे दोस्ती कर लें क्यों की समय के साथ बच्चों की बढ़ती उम्र में उन्हें समझने के लिए उनका दोस्त बनना बेहद जरुरी है। बच्चों से आपका रिश्ता अच्छा रहे , उनसे आपका तालमेल बने , उनको आप समझ सके इसके लिये कुछ तरीके है जिन्हे आप आजमा सकते है।
बच्चों से रिश्ता मजबूत करने के लिए उनसे दोस्ती कर लें क्यों की समय के साथ बच्चों की बढ़ती उम्र में उन्हें समझने के लिए उनका दोस्त बनना बेहद जरुरी है। बच्चों से आपका रिश्ता अच्छा रहे , उनसे आपका तालमेल बने , उनको आप समझ सके इसके लिये कुछ तरीके है जिन्हे आप आजमा सकते है।
बच्चो को किसी और बच्चे से तुलना मत करें :- अधिकांशतः हर पैरेंट बच्चे को समझाते वक्त उनको कम्पैर करने लगते है जिससे बच्चो के अंदर हीन भावना आने लगती है और वो अपने पैरेंट को पलट के जवाब देने लगते है जब की माता -पिता का उद्देश्य बच्चो का दिल दुखाना नहीं होता है लेकिन तरीका गलत होता है समझाने का। उनको कुछ समझाना है तो सही से समझाए , उन्हें सही तरीके से बात करें ताकी वो आपकी बात और भावना दोनों समझ सके।- माता -पिता हर बात में डाँटना बंद करें :- जरुरी तो नहीं हर बात में बच्चो को डांटे फटकारे। बच्चो को कुछ समझाना है तो उनसे बात करें और पब्लिक में तो बिल्कुल मत डांटे इससे उनको इंसल्ट फील होता है। बच्चो को क्या करना चाहिए या फिर क्या नहीं करना चाहिए ये सब कुछ उन्हें सही तरीके से समझाये ताकी आपकी बात को वो आसानी से समझ सके।
- आप जैसा करेंगे वैसा ही आपके बच्चे करेंगे :- कभी कभी माता -पिता खुद भी बहुत गलतिया करते है जैसे आपस में चिल्ला कर बात करना , एक दूसरे से लड़ना झगड़ना या फिर जरुरत से ज्यादा गुस्सा करना। आज के समय में काम के भागदौड़ में गुस्सा करना एक आम बात हो गई है लेकिन किसी भी चीज में अति नहीं होनी चाहिए इसका ध्यान रहे। कई बार ऐसा भी होता है की पैरेंट बच्चो को बोलते है खाते वक्त मोबाइल या T.V. मत देखो और फिर खुद देखते है। कोशिश करे खुद सही रहने की ताकी आपके बच्चे उन सही आदतों को फॉलो कर पाए।
- बच्चो को समय दें :- आज के इस व्यस्त और भागदौड़ भरी लाइफ में समय निकालना बड़ी मुश्किल बात हो गई है खाश तौर पे मेट्रो सिटी में क्यों की बहुत से पैरेंट ऐसे भी है जो अपने बच्चो के सोने के वक्त घर पहुँचते है लेकिन इतना कोशिश जरूर करें हप्ते में एक या दो बार जब भी समय मिले बच्चो के साथ थोड़ा वक्त गुजारे ताकी उनको आप समझ सके और वो आपको। इससे आप दोनों का रिश्ता मजबूत होगा।
- बच्चों के दोस्तों से भी मिले :-बच्चो के दोस्त सही है या नहीं इसका सबसे अच्छा तरीका है उनसे कभी कभार जरूर मिले। बच्चे के बर्थडे पे उनके फ्रेंड्स को भी बुलाये। बच्चे को डायरेक्ट मत कहे फला लड़का या लड़की ठीक नहीं है उन्हें सही से समझाए ताकी सही दोस्त चुनने में उनको मदद मिले।
- बच्चे से बात करते वक्त अपना ध्यान बच्चे पे ही दें :- बच्चा यदि आपसे कुछ बात करने आये तो उस वक्त आप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न करें आपका फेस आपके बच्चे के तरफ हो , मोस्ट इम्पोर्टेन्ट आई कॉन्टैक्ट होना चाहिए ताकि आपके बच्चे को लगे की उसकी भावना को समझा जा रहा है।
- बच्चो की भावना समझना सीखें :- सारे बच्चे अपनी बात सही से आपके सामने रख सके ये जरुरी नहीं इसलिए उनकी भावना को भी समझे , उन्हें बोलने का मौका दे और सबसे ज्यादा जरुरी उनको सुनना सीखें।
- जरुरत से ज्यादा बच्चों से उम्मीद मत करें :- कई बार देखा जाता है पेरेंट्स अपने बच्चों से बहुत एक्सपेक्टेशन करते है और जब बच्चे उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो पेरेंट्स बहुत दुखी हो जाते है। ये तरीका बहुत गलत तरीका है क्यों की हर बच्चे की छमता अलग होती है। हर कोई डॉक्टर नहीं बन सकता ,हर कोई इंजीनियर नहीं बन सकता तो बच्चे की छमता देखे उसी अनुसार उसे कॅरियर चुनने में उसकी मदद करें। बच्चे के साथ जोर जबरजस्ती न करें ऐसा करने से उसे मानसिक नुकसान पहुँच सकता है।
2 Comments
Nice way to present the parenting system.
ReplyDeleteThanks
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