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कम बोलने के फायदे और नुकसान।


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कम बोलने के फायदे और नुकसान।
हर व्यक्ति बोलने के मामले में अलग अलग होता है किसी को ज्यादा बोलना पसंद होता है तो किसी को कम बोलना लेकिन कम बोलना एक अच्छी आदत मानी जाती है क्यों की इससे समय और ऊर्जा दोनों की बचत होती है , ज्यादा बोलने से समय भी बरबाद होता है और हमारी ऊर्जा भी कम होती है। ज्यादा बोलने वाले लोगो को व्यर्थ बोलने की भी आदत पड़ जाती है जिससे कभी कभी वो लोग ऐसी बात भी बोल जाते है जो उनको बोलना नहीं चाहिए।
व्यर्थ बोल , व्यर्थ संकल्पो या फिर ज्यादा सोचने का नतीजा होता है , हम जितना ज्यादा सोचते है या फिर व्यर्थ सोचते है ऐसे व्यक्ति ज्यादा बोलते है जिससे लोग पसंद नहीं करते है। कभी कभी ऐसा भी होता है यदि व्यक्ति परेशान है तो भी ज्यादा बोलता है।
कम बोलने के फायदे बहुत है निचे मुख्य पाँच फायदे लिखे है  :-

  1. कम बोलने वालो को लोग सुनना पसंद करते है। 
  2. कम बोलने से समय की बचत होती है। 
  3. कम बोलने वाले व्यक्ति उतना ही बोलते है जितना जरुरी है। 
  4. कम बोलने से हमारे बोलने की ऊर्जा बचती है जिससे थकान महसूस नहीं होती और सिरदर्द जैसी समस्या उतप्न्न नहीं होती। 
  5. कम बोलने से एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है। 
कम बोलना अच्छी आदत है पर जरुरत से ज्यादा कम बोलना यानि चुप रहना कई बार नुकसान कारक हो जाता है ,लोग उनका फायदा उठाने लगते है। कम बोलने से कई बार उन्हें बेवकूफ समझ लेते है,उन्हें भला-बुरा सुना के भी चले जाते है क्यों की वो जानते है की ये कुछ बोल नहीं पायेगा इसलिए ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति कम बोलने वालो पे हावी होने लगते है। कम बोलने की आदत जरूर अपनाये लेकिन स्मार्टनेस के साथ , कम बोलना आपके स्वास्थ के लिए लाभप्रद है , ऊर्जा का बचत करता है लेकिन कम बोलने का ये मतलब नहीं की आप चतुराई न अपनाये। 

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