सही कैसे सोंचे ?
बचपन से ही हम सब सुनते आ रहे है सोच अच्छी रखो तो सब अच्छा होगा, अच्छा सोचो, अच्छा करो , अच्छा बोलो ऐसा बहुत कुछ हम अपने बड़े जुर्गो से सुनते आ रहे है लेकिन फिर भी हम अच्छा बोल तो लेते है पर अच्छा सोच नहीं पाते। खुद जब भी कभी आप एकांत में बैठे होते है तब अपने मन को देखिये की उसमे किस प्रकार की सोच उत्पन्न हो रही है अक्सर अधिकांश व्यक्ति कभी पास्ट में तो कभी फ्यूचर में घूमते रहते है और वर्तमान को भूल जाते है। छोटी - छोटी बातो में परेशान होना , छोटी छोटी बातों में क्रोधित हो जाना, चीड़ जाना ये सब तो जैसे आम बात हो गई है हम सबमे। दुसरो को तो सब कुछ अच्छा कैसे करे ये हम समझा दे रहे है लेकिन खुद में कुछ परिवर्तन नहीं कर पा रहे है। आज के समय में हर व्यक्ति थिंक पॉजिटिव को अच्छे से जानता है लेकिन फिर भी पॉजिटिव नहीं रह पा रहा , जब तक सब कुछ उसके लाइफ में नार्मल चल रहा है तब तक वह पॉजिटिव ही रहता है , खुश भी रहता है लेकिन जैसे ही कोई उतार - चढाव जीवन में आ जाता है तो उस वक्त उस सिचुएशन को मैनेज करना उसके लिए मुश्किल हो जाता है और यहाँ से शुरू होता है शरीर में बीमारियों को जन्म देने वाला सफर।
अब बात करते है सही कैसे सोंचे ? सही सोंचना है तो उसके लिए सबसे पहले अपने कर्मो को सही रखना होगा। सही कर्म करने होंगे। सही सोंचना और सही कर्म करना ये एक ही सिक्के के दो पहलु है। यदि हम किसी व्यक्ति के साथ व्यवहार सही से न करें या फिर अपने ही घर में जो हमारे भाई - बहन , माता पिता है उनको रिस्पेक्ट न दे तो कही न कही खुद से भी हमारी शिकायते बढ़ती जाती है। हम परेशान तभी नहीं होते जब कोई हमको हर्ट करता है हम परेशान तभी रहते है जब हम किसी को हर्ट करते है। दुसरो का व्यवहार अच्छा रहे ये हमारे हाथ में नहीं है लेकिन हमारा स्वयं का व्यवहार औरो के साथ सुलझा रहे ये हमारे हाथ में है तो सुधार हमे खुद में करनी है जैसे ही हमारे कर्म सुलझे हुए होने लगेंगे हमारा मन शांत रहने लगेगा।
कोशिश हमेशा रहे हाई वाइब्रेशन वाली सोच क्रिएट (उत्तपन्न ) हो जैसी कि मै ये काम कर सकता हूँ , मै बहुत भाग्यशाली हूँ , मै पढ़ने में होशियार हु , मै धनि हूँ आदी। इससे खुद के प्रति आत्मविश्वास जागृत होगा और हमारे कर्म भी सकारत्मक होने लंगेगे। परिस्थिति तो अच्छी या बुरी आती रहेगी उसे हम नहीं रोक सकते लेकिन जब हम अपने ब्रेन को हाई वाइब्रेशन , हाई क़्वालिटी सोच की आदत डाल देते है तो उसे हर अच्छी या बुरी परिस्थिति को मैनेज करने खुद आ जाता है फिर बार बार उसे किसी की सलाह की जरुरत नहीं पड़ती है। अपने ब्रेन को कुछ न कुछ नया सिखाते रहिये ताकि वो हमेशा एक्टिव रहें। रोज सुबह जब भी आप सो कर उठते है तो खुद से कहिये आई एम बेस्ट, खुद को अपने काम से संतुष्ट कीजिये। कुछ अच्छा करने पर अपना पीठ थपथपाइए।
हम सब जानते है सकारात्मक सोच सफलता की पहली सीढ़ी होती है आज हम किसी भी सफल आदमी का जीवनी जब पढ़ते है तो उस सफलता की सबसे पहली वजह उनकी सही और ऊंची सोंच होती है और फिर उनकी कड़ी मेहनत। सफल व्यक्ति कभी हार नहीं मानते , निरन्तर प्रयास करते रहते है।
अब बात करते है सही कैसे सोंचे ? सही सोंचना है तो उसके लिए सबसे पहले अपने कर्मो को सही रखना होगा। सही कर्म करने होंगे। सही सोंचना और सही कर्म करना ये एक ही सिक्के के दो पहलु है। यदि हम किसी व्यक्ति के साथ व्यवहार सही से न करें या फिर अपने ही घर में जो हमारे भाई - बहन , माता पिता है उनको रिस्पेक्ट न दे तो कही न कही खुद से भी हमारी शिकायते बढ़ती जाती है। हम परेशान तभी नहीं होते जब कोई हमको हर्ट करता है हम परेशान तभी रहते है जब हम किसी को हर्ट करते है। दुसरो का व्यवहार अच्छा रहे ये हमारे हाथ में नहीं है लेकिन हमारा स्वयं का व्यवहार औरो के साथ सुलझा रहे ये हमारे हाथ में है तो सुधार हमे खुद में करनी है जैसे ही हमारे कर्म सुलझे हुए होने लगेंगे हमारा मन शांत रहने लगेगा।
कोशिश हमेशा रहे हाई वाइब्रेशन वाली सोच क्रिएट (उत्तपन्न ) हो जैसी कि मै ये काम कर सकता हूँ , मै बहुत भाग्यशाली हूँ , मै पढ़ने में होशियार हु , मै धनि हूँ आदी। इससे खुद के प्रति आत्मविश्वास जागृत होगा और हमारे कर्म भी सकारत्मक होने लंगेगे। परिस्थिति तो अच्छी या बुरी आती रहेगी उसे हम नहीं रोक सकते लेकिन जब हम अपने ब्रेन को हाई वाइब्रेशन , हाई क़्वालिटी सोच की आदत डाल देते है तो उसे हर अच्छी या बुरी परिस्थिति को मैनेज करने खुद आ जाता है फिर बार बार उसे किसी की सलाह की जरुरत नहीं पड़ती है। अपने ब्रेन को कुछ न कुछ नया सिखाते रहिये ताकि वो हमेशा एक्टिव रहें। रोज सुबह जब भी आप सो कर उठते है तो खुद से कहिये आई एम बेस्ट, खुद को अपने काम से संतुष्ट कीजिये। कुछ अच्छा करने पर अपना पीठ थपथपाइए।
हम सब जानते है सकारात्मक सोच सफलता की पहली सीढ़ी होती है आज हम किसी भी सफल आदमी का जीवनी जब पढ़ते है तो उस सफलता की सबसे पहली वजह उनकी सही और ऊंची सोंच होती है और फिर उनकी कड़ी मेहनत। सफल व्यक्ति कभी हार नहीं मानते , निरन्तर प्रयास करते रहते है।
- खुद को हररोज कुछ अच्छा सिखने और अच्छा करने के लिए प्रेतित कीजिये।
- जब भी कुछ अच्छा करें खुद को शाबाशी दें।
- हर रोज खुद से कहे आई ऍम द बेस्ट।
- रोज सुबह खुद को आईने में देख के मुस्कुराये और कहे आज मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा।
- रोज कुछ नया और अच्छा सिखने की कोशिश करें।
- खुद से कहे मै अपने भाग्य का रचयिता खुद हूँ, अपना भाग्य लिखने की कलम मेरे हाथ में है।
- खुद को खुश रखें ताकि ख़ुशी का वायुमंडल आपके चारो तरफ बने।
- सबसे मुस्कुरा कर , थोड़ा प्यार से मिले ।
- अपने आप के साथ थोड़ी बातें करें , खुद की शिकायते दूर करे।
- हाई वाइब्रेशन वाली सोंच उतपन्न करें।
- शिकायतें करना बंद करें।
- अपना नजरिया बदले।
- व्यर्थ सोंच और व्यर्थ बोल बंद करें :- व्यर्थ सोंच और बोल दोनों बस समय बरबाद करता हैं इससे मिलता कुछ नहीं है। इसलिए खुद से आज और अभी से पक्का कर लें की ना व्यर्थ सोचेंगे और ना व्यर्थ बोलेंगे। इससे आपकी ऊर्जा बचेगी, शक्ति बढ़ेगी। इन ऊर्जा और शक्ति से आपको अपने कार्य में सफलता मिलेगी। याद रखिये आप जो भी कुछ सोंच रहे है वो सब कुछ यूनिवर्स में रिकॉर्ड हो रहा है और वही सब कुछ हमे रिटर्न दुगने अमाउंट में मिलता है इसलिए गलत सोंच से बचे।
- आपके पास जो है उसके आभारी बने :- शिकायतें करना बंद कर दें और देखें आपको ईश्वर ने भरपूर करके भेजा है इस पृथ्वी गृह पे। हम सबके पास सोचने समझने की शक्ति है , दो हाथ, पैर ,आंखे है यानि हमारा शरीर सही सलामत है। ईश्वर ने हमे इंडिपेंडेंट बनाया है फिर हम क्यों खुद को इतना डिपेंडेंट बना रहे है। हर रोज शुक्रिया करें उन सबका जो कुछ हमे मिला है ,उन लोगो का शुक्रिया करें जिन्होने हमे कभी मदद की। और मन ही मन उन लोगो से माफी भी मांगे जिनका आपने कभी दिल दुखाया। जब आप आभार प्रगट करने लगेंगे तो सारा ब्रह्मण्ड आपको और ज्यादा सब कुछ देने लगेगा।
- खुश रहे , अपने अंदर का अहंकार ख़त्म करें :- चेहरे पे मुस्कराहट रखिये ,रोता हुआ और निराश चेहरा किसी को पसंद नहीं आता। आप जितना खुश रहेंगे उतना ही आप एक्टिव रहेंगे ,लोग आप से बात करना पसंद करेंगे। अपने अंदर के ईगो और अहंकार को ख़त्म कीजिये। हम सब ये नहीं जानते की हमारा जीवन कितना है पर जितना भी है उसे भरपूर जियो। इस अनमोल जीवन का भरपूर आनंद लो।
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