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खेल-खेल में जीना सीखे


खेल-खेल में जीना सीखे :-

आप चाहे खुश रहे या दुःखी , आप चाहे तो दौड़े या रेंगे , आप चाहे रोये या गाये , समय तो हर सेकण्ड बीत रहा है और बीतता जायेगा। आप को अपने आप को प्रेरित करना होगा , स्वयं में अपने अंदर तरक्की करने की और आगे बढ़ने की , हर समय जिज्ञासु बने रहने की इच्छा जागृत करनी होगी। 


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               सुनने में यह बहुत अजीब लगता है कि कोई खेल खेल में कैसे जिए। आप कहेंगे कि आपको क्या पता जीवन कितने मुश्किलों से भरा है। कितना टेन्शन है इस जीवन में। बात सही भी है आप सब की पर क्या इस जीवन को इतना गंभीरता से लेना सही है। एक बच्चे को यदि आप देखे तो वह कितना खुश रहता है उसे जोर से डांट भी दो तो भी अगले ही पल में उसे प्यार से मनाने पर वह सब कुछ भूल जाता है खुश हो जाता है।
हम यदि कृष्ण भगवान का उदाहरण ले तो उनका जीवन कितने जोश और जूनून से भरा था। सुस्ती जैसी कोई बात उनके जीवन में नहीं थी। खेल-कूद , नृत्य-कला ,हंसी-मजाक सब कुछ देखने को मिलता है उनके लीला में। बुद्धि से परिपूर्ण साथ में चतुर भी। बाल्य रूप में भी उनका जीवन आनंद से भरा हुआ , एक कुशल योद्धा , कुशल शिछक , एक अच्छे मित्र यानि सर्वगुण सपन्न। अपना हर फर्ज अदा किया लेकिन साथ ही साथ खेल -कूद , नृत्य  - कला सबका आनंद लिया। जीवन जीने के लिए है गंभीर बन के बीमारिया पालने के लिए नहीं। आप सभी आज हर छेत्र में अच्छी जानकारी रख रहे है आज की जनरेशन कुशल भी है। सब कुछ जल्दी से सिंख लेती है फिर भी आज के दौर के लोगो में तनाव ज्यादा आ गया है अब लाइफ पहले जैसी सरल नहीं रही ये सारी बाते बिल्कुल सही है। इसलिए ही इस जीवन को सरल बनाने के लिए बच्चा बनकर जिए इस जीवन को ताकी आप सभी भी इस जीवन का आनंद ले सकें।
श्री राम की कहानी भी श्री कृष्ण की तरह बहुत अद्भुत रही। राम एक राजा के घर जन्म लिये। उनका पालन पोषण राजशाही था , वे एक राजकुमार थे। आप जरा सोचिये उनके चारो तरफ कितने नौकर खड़े होंगे और कैसा राजशाही अंदाज रहा होगा उनके जीवन में तो भी संघर्ष के समय में भी उनमे कितना धीरज और सौम्यता रहा। एक वीर पुरुष , वीर योद्धा , कुशल राजा , कुशल मित्र सब में परिपूर्ण। अपने काम के प्रति जागरूक। एक राजशाही जीवन जीने के बावजूद कही से आलस नहीं दिखा इनके जीवन में। 
हम लोगो ने बस भगवान के नाम की कहानियाँ सुनी और कहानी सुनना ही पसंद किये। लेकिन वैसा जीवन  जीना नहीं सींखे। यदि कोई कुछ समझाना भी चाहे तो बिना मतलब की बहस करके सामने वाले को हरा देना आज अधिकांश लोगो के लिए आसान हो गया है।
राम या कृष्ण की कहानियों से हमे प्रेणना मिलती है की हमे हर समय एक्टिव रहना चाहिए , आलस्य जैसा कुछ भी न हो जीवन में। आज अधिकतर लोगो की समस्या है कि हम सक्रीय रहे कैसे ? हम तो चाहते है सक्रीय रहना पर हमसे हो नहीं पाता। कई लोग कोशिश भी करते है लेकिन कुछ जरा सी बात पर नाराज यदि हो गए तो अपनी सक्रीयता भी छोड़ देते है और कहते है इस वजह से मै ऐसा हो गया। यानि हमने अपने ख़ुशी की चाभी , कुछ करने की चाभी या फिर अपने जीवन में कुछ समझने की चाभी किसी और को सौप दी है। हमारा अपने ही जीवन पे कोई अस्तित्व नहीं रहा। हम लोगो की सोचने समझने की शक्ति इतनी कमजोर हो गई है की हम कितना बेवकूफी भरा जीवन जी रहे उसका हमको अंदाजा भी नहीं है और फिर भी हमे घमंड है की हमसे ज्यादा समझदार कोई नही है।
यदि आपको सक्रीय रहना है तो उसके लिए आपको स्वयं के काम के साथ वफादार होना पड़ेगा। खुद को मजबूत इरादों वालो बनाना पड़ेगा। काम में लगन लाना होगा। खुद को यकीन दिलाना होगा की आप एक कुशल व्यक्ति है , आप ऊर्जा से भरपूर है , आप में अपार क्षमता है और सबसे जरुरी अपने ऊर्जा को व्यर्थ करना बंद कर दे। सक्रीयता में खेद आने का एक जरुरी वजह यह भी है की अधिकतर लोगो ने सही -गलत समझने की शक्ति कमजोर होने की वजह से गलतिया इतनी कर ली है और उन गलतियों की वजह से उनमे अफ़सोस आ गया है जिससे उनकी सक्रियता कम हो गया है।
आज हम TV , न्यूज़ में देखते है 80 , 92 साल के भी कुछ लोग है जो ऊर्जा से भरपूर है , बहुत एक्टिव है। KBC शॉ का नाम तो आप सबने सुना होगा जिसके हॉस्ट अमिताभ बच्चन है। आज भी 77 वर्ष के उम्र में उनकी सक्रियता देखिये , संम्पूर्ण ऊर्जा से भरपूर, जोश और जूनून के साथ एक्टिव रहना, एक्टिवली अपने हुनर को प्रदर्शित करना। क्या ऐसा एक आम नागरिक नहीं कर सकता , आम नागरिक ने अपनी सोच भी आम बना दी और यही उनके दुःख का कारण बना।
जीना एक अबोध बच्चे से सीखिए जो हर वक़्त खुश रहता है , खेलता कूदता हुआ, प्रयास करके आगे बढ़ता हुआ सब कुछ धीरे धीरे सिख लेता है। बोलना सिख जाता है , चलना सिख जाता है , अपने हाथ से खाना सिख जाता है। अपने आप को शाबासी दीजिये कुछ अच्छा करने पर , ये जीवन आपका है इसके मालिक बने अपने मन के गुलाम नहीं। 

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