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जीवन में खुश कैसे रहे।








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अगर हम ध्यान से अपने चारो तरफ की  प्रकृति को देखे तो समझ पाएंगे की बिना किसी उम्मीद के प्रकृति हम मनुष्यो को बहुत कुछ दे रही है ,सूर्य के प्रकाश के बिना तो जीवन संभव नहीं है,सूर्य की किरणे हम मनुष्यो के शरीर की अनगिनत बीमारियों को ठीक करता है। बात करे पेड़ो की तो पेड़ जीते जी भी हमें ताजी हवा ,छाया ,ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा देते है,और जब सुख जाते है तब भी हमारे काम आते है,जल , हवा ,अग्नि,पृथ्वी और आकाश ये सब पांच तत्व बिना कुछ हमसे लिए हमें कुछ न कुछ दिए जा रहे है। सही मायने में देखे तो ये सब दाता है। 
लेकिन हम मनुष्यो की बात करे तो हमने अपने विचारो में इतनी फ्रीडम लायी ही नहीं। हम जब भी किसी के लिए कुछ करते है तो उससे उम्मीद बहुत करने लगते है और ये उम्मीदे हमारी जब पूरी नहीं होती तो हम दुखी होने लगते है , हमने इतने नियम और शर्ते सबके लिए लगा दिए है जिससे हम खुश रहने में नाकायाब हो जाते है। 
सबसे पहले तो हमें समझना होगा की ख़ुशी हमारी वास्तविक प्रकृति है ख़ुशी मांगने की वस्तु नहीं है ,खुश रहना बेहद आसान है। लोग आपके बारे में क्या सोच रहे है ये उनका निजी विचार है यदि आप सही है तो लोगो की आपके काम के बारे में राय क्या है ये जानने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है, बस कोशिश हमेशा यही रहे की आपकी भावना हरेक के प्रति शुद्ध हो ,किसी भी प्रकार का छल कपट न हो क्यों की जहा विचारो में शुद्धता है वही शांति है। हमें जो भी कुछ इस जीवन में मिला है उसको लेकर आभार की भावना होना चाहीये ,रोज सुबह जब उठे तो सबसे पहले प्रकृति को ,ईश्वर को ,अपने माता पिता और जो भी लोग हमारे जीवन में है उनको मन ही मन आभार प्रगट करे ,धन्यवाद कहे ,औरो से उम्मीदे कम  करे ,स्वयं के साथ ईमानदारी से स्वीकार करे की हमें बहुत कुछ इस जीवन में मिला है इससे इस जीवन के साथ जो भी शिकायते है वो कम होने लगेगी और सच में हम सभी को बहुत कुछ मिला है जिसपे हमने ध्यान दिया ही नहीं ,ध्यान सिर्फ उनपे ही ज्यादा दिया गया जिसका अभाव है और अभाव पे ध्यान देते ही विचारो में निराशा आयी और जब विचारो में निराशा आयी तो जीवन भी अशंतुश्ट हो गया। यदि आप ध्यान से अपने आपको देखेंगे तो समझ पाएंगे की ये विचार ही है जो हमारे कर्मो को सकारात्मक और नकारात्मक बनाते है ,हम इसे ऐसे भी कह सकते है की विचार बनाये जिंदगी। 
अपने आप से रोज कहे की मै अपने जीवन से बेहद खुश हु, मुझे जो मिला है मै उससे बेहद खुश हु, क्यों की जैसा हम सोचते है वैसा ही हम बनते जाते है ,हमारा व्यवहार भी वैसा बनता जाता है ,तो जितना खुशहाली वाली भावना को उत्पन्न करेंगे उतना ही खुश बनते जायेंगे और सच में ये बेहद आसान है. हरेक दिन कम से कम एक दो -एक्टिविटी ऐसी जरूर करे जो आपको पसंद है ,जैसे किसी व्यक्ति को पढ़ने का शौक होता है ,किसी को डांस या ड्रॉंइंग एंड पेंटिंग ,खेल कूद ,कुकिंग। कुछ पसंदीदा कार्यकलाप जिससे मन हल्का और खुश रहे। 
और सबसे जरुरी बात की कोई भी बुरी आदत ,गैरजरूरी आदत है तो उसे अपने से दूर ,नष्ट करने  का प्रयास कीजिये क्यों की वो सबसे पहले आपको ही नुकसान पहुचायेगा ,बाद में आपसे जुड़े लोगो को। बुरी आदत कुछ भी हो सकती है क्रोध ,लोभ ,अहंकार ,ईर्ष्या ,जलन आदि और भी कुछ अलग तरह की बुरी आदत हो सकती है, कोशिश यही रहे की वो बुरी आदत अपने अंदर से निकाल फेंके, खुद को कुछ अच्छा सिखने और करने के लिए प्रोत्साहित करे इसके जरिये भी आपके अंदर सकारात्म अनुभूति होगी।
खुद को हमेशा बहुत भाग्यशाली मानिये, ये जीवन आन्दित होकर जीने के लिए है ,इसका एक -एक पल बहुत खास है.इसे कोशने में बर्बाद मत करे.



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