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एकाग्रता को कैसे बढ़ाये ?

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एकाग्रता ही सबकुछ है। 


बचपन से ही हमें घर और स्कूल में एकाग्रता से काम करने को कहा जाता है। पर हमने शायद एकाग्रता शब्द को सुना लेकिन समझा नहीं। एकाग्रता को समझना यानि अपने जीवन को ऊर्जावान बनाना , शक्तिशाली बनाना ,जीवन में आगे बढ़ाना ,और किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव से बचना। एकाग्रता अर्थात आप जिस लक्ष्य को निर्धारित करके कोई काम कर रहे है आपका मन और बुद्धि दोनों उस लक्ष्य पर टिका रहे। 
अक्सर  हम सबका ध्यान कभी भूतकाल तो कभी भविष्य यानि आने वाले कल के बारे में सोचता रहता है और वर्तमान में टिक नहीं पाता ,कुछ घटित हो गया है उस का चिंतन बार बार करता रहता है क्यों की हमने जो भी कर्म कर दिए वह हमारे मस्तिष्क में रिकॉर्ड हो जाते है उसको सोचना हमारे लिए आसान हो जाता है और जिस क्रिया को हम बार बार दुहराते रहते है वह हमारा संस्कार बन जाता है। 
हम सभी ने महाभारत के दो मुख्य किररदार अर्जुन और एकलव्य के बारे में सुना है,वह दोनों जिस भी लक्ष्य को निर्धारित कर लेते है उसका अभ्यास बड़ी एकाग्रता के साथ करते है, और इसलिए वो अपने काम में सफल हो जाते है ,एकाग्रता वो शक्ति है जो हमे जीवन में सफलता प्रदान करती है। अब हम यह जानने की कोशिश करते है की एकाग्रता को बढ़ाये कैसे ?इसके लिए सबसे जरुरी है इच्छाशक्ति ,दृढ़संकल्प, और अपने संकल्पो के गति को देखना।
आमतौर पर हमारा मन ५० से ६० विचार प्रति मिनट उत्पन्न करता है यदि हम इनके संख्या की गति को धीरे धीरे कम कर ले तब भी हमारी एकाग्रता बढ़ सकती है इसके लिए हमें स्वयँ को चेक करना होगा यानि अपने विचारो को साक्षी होकर देखना होगा इससे विचारो की गति नियंत्रित होने लगेगी इस प्रकार हम चेक करके स्वयं में परिवर्तन ला सकते है।
दूसरी ओर हमें विचारो में व्यर्थ संकल्पो को ख़त्म या कम करना होगा। व्यर्थ संक्लप से समर्थ संकल्पो की ओर  जाना। इसे अभ्यास में   लाना होगा की जो काम जरुरी है वही करे व्यर्थ बातो में समय बर्बाद ना करे।
ध्यान ,योग ,एक्सरसाइज नियमित करे। योग की कुछ ऐसी विधिया भी है जिसके जरिये हम अपनी एकाग्रता को बढ़ा सकते है, जैसे की अनुलोम -विलोम प्राणायाम ,भस्त्रिका प्राणायाम ,सूर्यनमस्कार ,शांभवी महामुद्रा आदि कुछ योग की विधिया है जो शरीर को ऊर्जावान बनाने के साथ एकाग्रता को बढ़ाने में भी मददगार है।

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