Header Ads Widget

Responsive Advertisement

स्वयं को शत्रु - मुक्त कैसे करे।

स्वयं को शत्रु - मुक्त कैसे करे :-
Image result for images of yellow buke

एक आम आदमी की बात करे तो उसका जीवन अपने आप में ही एक बहुत बड़े संघर्ष से गुजर रहा होता है , एक संघर्ष उसके जीवन में चल रहा है तो एक संघर्ष उसके अंदर यानि उसके विचारो में चल रहा है। जो छल कपट , धोखा धड़ी उसके जीवन में हुई है। हार - पराजय , लाभ-हानि , परिस्थतियो का उतार - चढाव और इन सबसे गुजरते हुए अपने परिवार के लिए निरंतर प्रयास करते हुए आगे की ओर बढ़ना आगे बढ़ने के कोशिश में उसकी कहानी उस कुए के मेढक जैसी होती है की वो कुए के बाहर देखना तो चाह रहा है लेकिन और मेढक उसके पैर को खिंच कर उसे निचे गिरा रहे है और वे वो मेढक है जिनमे ईर्ष्या है , जलन है क्यों की ऐसा छोटा काम वो ही करते है जो एक बहुत निम्न और छोटी विचारधारा से गुजर रहे होते है। 
कहते है मन के हारे हार है ,मन के जीते जित। बड़ी सुन्दर पंक्ति है यदि किसी व्यक्ति का मन हार जाये ,कोशिश करना बंद कर दे तब वह व्यक्ति भी हार जाता है और यदि किसी व्यक्ति का मन हार माने ही नहीं , सफलता के प्रयास में सतत लगा रहे तब वह व्यक्ति अवश्य जित जाता है। अच्छी या बुरी परिस्थिति का आना जाना तो सृष्टि का नियम है , परिवर्तन संसार का नियम है इसे कोई बदल नहीं सकता। एक व्यक्ति को पूर्ण बनने के लिए जीवन के सारे कसौटी से गुजरना ही पड़ता है। सारी क्षमताये , विशेषताएं हमारे अंदर विराजमान है , जितना ज्यादा प्रयोग हम करते जायेंगे उतना ही निखरते जायेंगे , बस जरुरत है प्रयास की। ये कोशिश ही है जो सब्जी बेचने वाले के बच्चे को अफसर बना देता है। आलस और सुस्ती छोड़िये आगे की ओर बढिये। 
अपने अंदर के वाद - विवाद से बाहर आइये। इन वाद विवाद के चक्कर में जो फस गया वो उसी में रह गया , जीतता वही है जो अपने अंदर विराजमान कमी कमजोरियों को बाहर निकालता है। 
असफलता आती है तो आने दो , डरो मत , घबराओ मत , अपने समस्त इंद्रियों को कोशिश करने में लगा दो , एक न एक दिन सफलता आएगी। किसी और की नासमझी को खुद क्यों भुगत रहे हो , यदि किसी ने आप के साथ बुरा व्यवहार किया तो वह उसके बुरे संस्कार है , उसका दंड खुद को क्यों दे रहे हो। उस व्यक्ति ने कुछ बुरा करके अपनी डेस्टिनी ( भाग्य ) खुद बिगाड़ ली अब आप बुरा सोच कर अपनी डेस्टिनी क्यू बिगाड़ रहे है , आप तो अपने अंदर के संघर्ष , लड़ाई - झगड़े से बाहर निकलिए। 
अपने अंदर उम्मीदों का दिआ रोज जलाये , और उस रौशनी को बाहर तक जाने दे , ये उम्मीदों की रौशनी आपको बहुत आगे तक ले जाएगी बस आप अपने उम्मीदों का दामन पकड़े रहे। अपना दिआ खुद जलाये। आशावादी बने। 

Post a Comment

0 Comments