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बच्चो की परवरिश कैसे करे?

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बच्चो की परवरिश कैसे करे ?

कुम्हार का एक उदहारण लेते हुए मैं इस पोस्ट की शुरुआत करती हु। कुम्हार गीली मिटटी को अपने हाथ में लेकर जब घड़ा बनाने की शुरुआत करता है, अनजाने में  बस वो हाथ घड़े पे फेरता जाता है और घड़ा अपना आकर खुद ही लेता रहता है. कुम्भार फिर अनजाने में अपना हाथ फेरता जाता है घड़ा अपना आकार लेता जाता है। धीरे धीरे घड़ा तैयार हो जाता है। एक दिन कुम्भार फिर से उस घड़े में  कुछ परिवर्तन करने जाता है लेकिन अब वो घड़ा बन के तैयार हो गया है उसमे कुछ परिवर्तन अब हो नहीं सकता। कुछ समय बाद कुम्भार दूसरा घड़ा बनाने जाता है पर इस बार अनजाने में नहीं। इस बार कुम्हार घड़ा बनाते  समय अपना दिल , दिमाग और अपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा देता है इसलिए इस बार एक बहुत खूबसूरत घड़ा तैयार होता है जैसा कुम्भार चाहता है।
बच्चो की परवरिश भी घड़े जैसी ही होती है जब वो छोटे है तभी उनको सही अक़ार देना होता है क्यों की उनका दिमाग उस वक़्त खाली है ,सही बातो का बीज डालते जाओ ताकि जब वो बड़े हो तो वृछ अच्छा तैयार हो। सकारात्मक विचारधारा युक्त परवरिश हो।हम बच्चो को अच्छा संस्कार तो देना चाहते है,और देते भी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरुरी है की अच्छे संस्कारो को जीना शुरू कर दे। माता- पिता अपने बच्चो को जैसा बनाना चाहते है वैसा जीवनशैली खुद भी जिए ,अच्छे व्यवहार को सबसे पहले अपने अंदर धारण करे ,घर का माहौल श्रेष्ठ बनाये। पहले खुद रिसपेक्ट में रहे,और दुसरो को रिसपेक्ट दे। बच्चो की भावनाओ को सुने ,उनके अन्तःमन में क्या चल रहा है वो जाने। सबसे ज्यादा जरुरी है की बच्चो के दोस्त बन जाये। सिर्फ अपना कहना मानने पर उनको मजबूर ना करे ,उनकी भी सुने ,समय के साथ स्वय के विचारधारा में भी सकारात्मक रूप से परिवर्तन करे। बच्चा जब छोटा है तभी उसमे सही बातो का बीज डाल दे ताकि जब वो बड़ा हो तब बीज अंकुरित होके अच्छे संस्कारो का फल दे। 
बच्चो को सही दिशा देना है ,तो पेरेंट्स को भी सही दिशा में रहना होगा और घर का माहौल बहुत खुशहाली भरा,पॉजिटिव ,हेल्थी और हैप्पी रखना होगा।
बच्चो को नए नए क्रिएटिविटी में इन्वॉल्व करे ,ताकी उनके पास फालतू समय न बचे। और उनकी प्रतिभा निखरे। जैसे ड्राइंग एंड पेंटिंग ,रीडिंग हैबिट्स ,प्लांटेशन में शामिल करे। यदि उन्हें म्यूजिक पसंद है तो वह भी सिखाये।
अपने घर के काम में उन्हें शामिल करे ,उनके टॉयज उनसे साफ करवाए ,उन्हें पढाई की तरफ इंटरेस्ट बढे इसलिए स्टडी का इम्पोर्टेंस बताये। जितना हो सके मोबाइल,टैब से दूर रखे।बेसिक लाइफ स्किल भी कुछ न कुछ सिखाइये। जिससे उनको अपना लाइफ कैसे मैनेज करना है समझ में आये।
आप जो भी एक्टिविटी में उन्हें शामिल करे उनका बेनिफिट्स उनको जरूर बताये जिससे उनकी रूचि उसमे बढे।गल्ती से भी उनको कम्पेयर किसी और बच्चे से न करे ,उसमे जो भी कम -ज्यादा है उसको इम्प्रूव सही तरीके से करे। यदि कुछ काम वो सही तरीके से कर के बता रहे है तो उन्हें सराहे ,उनको शाबासी दें। ताकि उनका मनोबल बढे।
आप कितने भी व्यस्त क्यों न हो बच्चो के लिए टाइम जरूर निकाले ,उनसे बाते करे ,कुछ उनके साथ गेम खेले ताकि पेरेंट्स और बच्चे का एक अच्छा बॉन्डिंग बने और उनका कॉन्फिडेंस लेवल बढे।



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