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सही जीवन-साथी कैसे चुने ?

सही जीवन-साथी कैसे चुने ?


मेरे एक शुभ - चिंतक को जानने की इच्छा थी की सही जीवन साथी चुने कैसे , मै उसके बारे में कुछ लिखू तो बस ये मेरा प्रयास है की मै उनकी और उनके उम्र के और लोगो की कुछ मदद कर सकू लेकिन यह भी सच  है कि मै इस बारे में कोई विशेषज्ञ नहीं हु, बस अपना अनुभव और अपना विचार आप सब से शेयर कर रही हु। 


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जैसे जैसे घर का लड़का या लड़की एक सही उम्र पे आने लगते है उनके माता पिता का ध्यान उनके शादी के ओर जाने लगता है , क्यों की शादी बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है जिससे लड़के या लड़की का भविष्य , खुशियाँ सब तय होती है। ऐसे में अब सवाल उठता है की एक अच्छा लाइफ पार्टनर चुने कैसे ? बच्चे भी इस बात से बड़े गंभीर हो जाते है की सही जीवन साथी चुने कैसे ?
शादी की उम्र तक लड़के या लड़की पहुँचते पहुँचते अपने दिमाग में एक फ्रेम बना लेते है की लड़की ऐसी होनी चाहिए या फिर ऐसा होना चाहिए , यहाँ तक की उसके बात करने का तरीका , उठने- बैठने का तरीका , उसके सोचने का तरीका सब कुछ हम अपने दिमाग में तय कर लेते है। प्रॉब्लम तब होती है जब प्रक्टिकली सब कुछ अलग होता है। आपके सोच से अलग होता है। सबकुछ अलग होना कोई बड़ी बात नहीं है क्यों की शादी दो अलग इंसानो की होती है यहा अलग से मतलब है कि दो व्यक्ति है जिनका जन्म अलग अलग परिवार में हुआ है , दो अलग संस्कारों में पले बढे है। दोनों के घर का माहौल भी अलग अलग होता है तो उनके व्यवहार एक जैसे कैसे हो सकते है ।दोनों के बिच भिन्नता होना स्वभाविक है। उस भिन्नता को आपको बड़े सम्मान के साथ स्वीकार करना होगा नहीं तो जीवन झगड़े करने में ही गुजर जायेगा।
सही जैसा कुछ होता ही नहीं है यदि आप सोच रहे है कि सही जीवन साथी कैसे चुने तो सही शब्द बस एक भ्रम है। क्यों कि प्रक्टिकली यदि किसी एक पर्सन के लिए कोई बात महत्वपूर्ण है जैसे की आप सोचते है की "मुझे एक्सरसाइज रोज करना चाहिए , इससे मेरा हेल्थ अच्छा रहेगा " पर सामने वाले को इसमें कोई दिलचस्पी न हो तो। आप अपने तरीको को खुद पे आजमा सकते है लेकिन किसी और पे फाॅर्स नहीं कर सकते क्यों की फिर दोनों के रिश्तो में तनाव आने लगता है। सच्चाई यही है कि हमे एक दूसरे के कमियों के साथ एडजस्ट होना पड़ता है और अच्छाइयों को प्रोत्साहित करना पड़ता है।
आप इस बात पे ध्यान जरूर दे सकते है (चाहे लड़का हो या लड़की ) कि मेल या फीमेल जो भी हो उसमे किसी बात को समझने की समझदारी हो , वो एक-दूसरे की भावनाओ को समझ सके ,रिस्पेक्ट दे सके। यदि किसी के संस्कार बिल्कुल ही हाथ से बाहर निकल गए है तो उनको न चुने क्यों की जब विवाह के मोड़ पे है तो आप अपना जीवन साथी चुने न कि समाज-सुधारक बने , वरना आपका बहुत समय बर्बाद हो जायेगा फिर भी ये आपका निजी फैसला है। यदि कमी कुछ ज्यादा ही दिख रही है संस्कारो या भावनाओ में तो आप उस रिश्ते को स्वीकार करने से पीछे हट सकते है और दूसरी बात किसी पे दया करके शादी मत करे क्यों की कुछ समय के लिए ये डिसीजन सही हो सकता है लेकिन बाद में शायद आपको परेशानी हो।दया के बजाय उस पर्सन को समझे यदि पर्सन आपके समझ से सही है तो शादी के लिए आगे बढे। 
जब भी आप अपना जीवन साथी चुने तो इतना जरूर समझे कि एक व्यक्ति को जब हम स्वीकार करते है उसमे बस अच्छाई ही नहीं होती है कुछ कमिया भी होती है और आप एक पूरा पैकेज ले रहे है। आप किसी को इम्प्रेस कर रहे है तो आपको भी कोई इम्प्रेस कर रहा है लेकिन यदि आप परफेक्ट नहीं है तो आप ही जैसा सही और गलत सामने वाला व्यक्ति भी है तो जरा ख्याली पुलाव वाले दुनिया से बाहर निकले। आप जब किसी को चुनते है तो एक पूरा पैकेज चुनते है जिसमे उसकी अच्छाई के साथ उस पर्सन की कुछ कमिया भी शामिल होंगी। इन सब छोटी छोटी बातो से आप जागरूक रहे ताकि बाद में आपको कोई परेशानी न हो।  
सिर्फ सामने वाले की बाह्य खूबसूरती पर ध्यान न दे क्यों की ये आपके हाथ में नहीं था आपका फेस गॉड गिफ्टेड है हम जिस फेस के साथ जिस रंग के साथ जन्म लिए आपके हाथो में नहीं थी।  लेकिन आपकी सभ्यता, आपका सोच विचार , व्यवहार , तौर तरीके ये सब कुछ आप के हाथो में है । इसे आप चाहे तो बहुत बेहतर बना सकते  हैऔर यदि इन छोटे छोटे बातो पर आप ध्यान न दे तो इसे बिगाड़ भी सकते है।
इसलिए ये मेरा पर्सनल विचार है की बाहरी सुंदरता पे जरुरत से ज्यादा ध्यान न दे , वो उम्र के साथ ढल जाएगी , किसी पर्सन की इनर ब्यूटी देंखे जो आपके साथ जीवन भर रहेंगी और यही आपके सुख - दुःख के पलों में काम आएगी। इनर ब्यूटी का पता उस पर्सन के सोच विचार , बात व्यवहार से लग सकता है यदि आप एक कुशल श्रोता है और किसी इन्सान को समझने की कला है आपमें तो। शादी कोई एक दो साल का डील नहीं है इसलिए अच्छा जीवन साथी चुनने में दूरदृष्टि की बहुत आवश्यकता होती है यानि लम्बे समय तक आपका रिश्ता मजबूत रह सकता है या नहीं उस पर्सन के साथ।
मैंने कई बार देखा है की पुरुषो ने औरतो के समाज को विकसित नहीं होने दिया।मै ऐसा सबके लिए नहीं कह रही हूँ लेकिन है ऐसा बहुत सी जगहों पे। औरतो को उनके काबिलियत के तौर पे विकसित नहीं होने देते , उनके सोच को पंख मिलने नहीं देते , उन्हें थोड़ा दबाकर रखा जाता है तो ऐसा होने पर डिस्टर्बेंस बढ़ सकता है तो उनके सही विचारो को , उनके टैलेंट को रिस्पेक्ट दे , उन्हें भी आगे बढ़ने में मदद करें।
किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए अंडरस्टैंडिंग की जरुरत होती है खुद को समझदार बनाए। अपने विचारो को क्रिस्टल क्लियर करें , अपनी क्लैरिटी रखे की आगे की लाइफ आप कैसी बनाना चाहते है। किसी को समझने में समय लगता है तो समय दे खुद को और उसे भी जिसे आपको चुनना है। मोस्ट इम्पोर्टेन्ट जरुरत से ज्यादा एक्सपेक्टेशन न रखें। एक्सपेक्टेशन खुद पे रखें। बी पॉजिटिव इन लाइफ , जो भी होगा अच्छे से अच्छा होगा।
याद रहे शादी चाहे आप मेल है या फीमेल ये आपके जीवन का मोस्ट इम्पोर्टेन्ट पल है तो जीवन साथी चुनने में समझदारी दिखाए। जब आप मिल रहे है अपने होने वाले लाइफ पार्टनर से उनकी पसंद , नापसंद जाने , उन्हें आगे यानि आफ्टर मैरिज उन्हें क्या करना है ,यदि उनका कोई कॅरिअर प्लानिंग है तो वह भी जाने और अपने बारे में भी बताये की आपको क्या पसंद है और आपको किस क्षेत्र में आगे बढ़ना। मेरे हिसाब से क्रिस्टल क्लियर बात करे। गप्पे न हाके।


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