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बिहेवियरल डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रन ( बच्चो में व्यवहार सम्बन्धी विकार )

  बिहेवियरल डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रन

 ( बच्चो में व्यवहार सम्बन्धी विकार ) :-
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behavior disorders in children 

बिहैवियर के द्वारा ही हम किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को पहचानते है। फला व्यक्ति बहुत अच्छे है यानि उनका व्यवहार बहुत अच्छा रहा। जो आदर सत्कार आप को मिलना चाहिए वो उनसे मिला और जब हम ये कहते है की फला व्यक्ति तो हमे बिलकुल अच्छे नहीं लगे यानि उनके व्यवहार में वो सौम्यता नहीं दिखी जो किसी व्यक्ति को चाहिए होती है। हर इंसान आदर ,प्रेम , सम्मान चाहता है एक दूसरे से जब वह आदर , सम्मान उसे किसी से नहीं मिलता या फिर मिलता है तो उसी बिहैवियर को नेगेटिव या पॉजिटिव रूप में बात किआ जाता है।
अब बात करते है बच्चो की बच्चो में बिहैवियर डिसऑर्डस होता क्या है ? यह धीरे धीरे तो गंभीर समस्या बन जाता है और माता पिता के लिए बहुत बड़ी परेशानी। बिहैवियर डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रन में बच्चा हाइपरएक्टिव हो जाता है किसी की बात नहीं मानता। माता पिता जो भी कुछ कहते है वह उसका अपोजिट व्यवहार करता है। तोड़ - फोड़ मचाना , गाड़ी का सीसा तोड देना , जरुरत से ज्यादा बदमाशी करना , कई बार टीन ऐज में ही किसी का मर्डर या रेप जैसी गंभीर समस्या उत्त्पन्न करना। बड़ो से बहस करना , खुद को सुपीरियर मानना , किसी की सुनना नहीं , खुद की मनमानी करना , जल्दी से क्रोधित हो जाना , हठ करना।  ऐसा व्यवहार जो कंट्रोल में ही नहीं है बच्चे के जिसके चलते बच्चा भी परेशानी में आ जाता है और उसके माता पिता भी परेशान रहते है। इन बिहेवियर डिसऑर्डर्स के चलते बच्चा मानसिक और व्यावहारिक तौर पे परेशान हो जाता है। 5 वर्ष के बच्चो से लेकर 17-18  वर्ष के बच्चो में यह परेशानी पाई जा सकती है। यदि माता पिता थोड़ा जागरूक बन जाये तो समय से इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। कई बार ये तो ऐसा ही है कह कर लोग उस बच्चे की परेशानी समझने की बजाय उसे छोड़ देते है।


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Treating Disruptive Behavior disorders in children
ये समस्या उन फैमिली में ज्यादा पाई जाती है जहा घर का माहौल ठीक नहीं है। घर में ही लड़ाई - झगड़ा , मारपीट , पिता का ड्रिंक करना , बच्चे के माँ को मारना, घर में बहुत कलह - अशांति होना, घर के आस पास का माहौल बहुत हिंसक हो तो बच्चा भी मानसिक तौर पे बीमार हो जाता है। कई बार यह भी देखा गया है की बच्चे के साथ बहुत सख्ती से उसके पैरेंट पेस आते है या उसके घर के बड़े । बच्चे को प्यार की कमी महसूस होती है उन्हें ऐसा लगता है घर में उनसे कोई प्यार नहीं करता तो भी बच्चो में व्यवहार सम्बन्धी विकार उत्पन्न होने लगते है। ऐसा भी नहीं है की बच्चा जीवन भर ऐसा ही रहे कई बार बड़ा होते होते उसमे सुधार भी आ जाता है और वह अपने व्यवहार में ठीक हो जाता है।
 निचे लिखे पॉइंट्स इनमे शामिल हो सकते हैं।
  1. ADHD  ( attention deficit hyperactivity disorder )
  2. ODD (oppositional defiant disorder )
  3. ASD (autism spectrum disorder )
  4. anxiety disorder 
  5. depression 
  6. bipolar disorder 
  7. learning disorders  
  8. conduct disorders 
बच्चो और किशोरों में चिड़चिड़ापन पाया जाता है।बच्चे का पढाई में मन नहीं लगना ,आसानी से ध्यान भटकना  एक जगह पे बैठ नहीं पाना , बार बार सबको डिस्टर्ब करना और स्वयं भी डिस्टर्ब रहना। यदि माता - पिता कुछ बोल रहे है तो उसका उल्टा बोलना। बच्चे का चिंतित रहना, उदास रहना, मूड का बदलते रहना , पढाई में मन नहीं लगना , कंडक्ट डिसऑर्डर्स से अभिप्राय आचरण से है जिसके होने पर बच्चे और किशोरों के आचरण में बहुत से बदलाव देखे जाते है।  ऊपर बताये गए सभी विकार कई बार हिंसक रूप ले लेते है।  यदि आपको लम्बे समय से बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिखाई दे रहा है तो उसे नजरअंदाज ना करें क्यों कि इसका कारण उसका मानसिक रूप से अस्वस्थ होना हो सकता हैं।




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इनका ट्रीटमेन्ट उनके माता पिता कर सकते है क्यों की घर में क्या चल रहा है घर का माहौल अच्छा है या बुरा है फिर उनके परवरिश में कहा से कुछ कमी हो रही है या फिर कही जरुरत से ज्यादा लाड प्यार दिया जा रहा है। बिना डिसिप्लिन के रखा जा रहा है या फिर पेरेंट्स बस अपनी सुनाये जा रहे है बच्चे को नहीं सुन रहे यानि सारी कमी-कमजोरियो को माता -पिता ठीक से समझते है तो उनको खुद में या फिर घर के माहौल में क्या परिवर्तन लाने है बच्चे को उसके अच्छे काम पे उसे प्रोत्साहित करके बच्चे में खुद ही बहुत सारे सकारात्मक बदलाव ला सकते है। सबसे ज्यादा जरुरी है बच्चे के साथ उसके माता -पिता का अच्छा बॉन्डिंग होना। समस्या यदि ज्यादा गंभीर रूप ले लिया है तो विशेषज्ञ की सलाह लें।


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