हम सभी के जीवन का पहला और सायद आखिरी इच्छा यही होती है की हमारा जीवन सफल रहे ,कामयाब रहे। और इसी के पीछे हम सब भाग दौड़ रहे है , सबने अपने अपने तरीके है लाइफ को सफल बनाने के। कोई अच्छे पद को पाकर सफल बनता है ,तो कोई बहुत धन एकत्रित करके ,कोई इस लाइफ को बहुत एन्जॉय करके।यहा सभी के अपने अपने सिद्धांत है सफलता के। और उसी अनुसार सब मेहनत कर रहे है।
सफलता की परिभाषा यहाँ सबकी अपनी अपनी है। हम सबके लिए यह भी जरुरी है की अपनी बुद्धि में निखार लाए। बुद्धिमता को पढ़ाये ,क्यों की जब हमारी बुद्धि निखरती जाती है तो हम अंदर से और सुलझते जाते है ,बाहरी परिस्थितियों को और बेहतर तरीके से समझते जाते है। किसी तय पद को पाना ही सफलता नहीं है ,आप वर्तमान परिस्थियों को सँभालने में कितने निपूर्ण है ,कितने बेहतरीन ठंग से सब कुछ संभाल रहे है यह भी खुद में एक सफलता है।
अक्सर ऐसा होता है की सफलता को हमने बाहरी नजरिये पे छोड़ दिया है ,दुनिया हमे किस तरीके से देख रही है वही हमारे लिए सफलता है ,और हमने खुद को भी बाहरी नजरिये पे तैयार कर लिया है ,अपने आप की खुद से दुरी बना ली है ,खुद को खुद से ही दूर कर लिया है ,इसलिए जब हमे कभी बाहरी लोग अपनत्व नहीं दिखाते तो हम निराश होने लगते है।
जब अपनी बुद्धि को हम निखारना शुरू करते देते है तब हमारी पहचान खुद से होने लगती है ,खुद से दोस्ती शुरू हो जाती है ,फिर हमें बाहरी लोगो के स्वीकृति की जरुरत नहीं होती क्यों की हम अपने को काम को कितना सुधारे ,उस काम को कितना निखारे ,ये समझने लगते है ,और अपने आप से संतुष्ट होने लगते है। ये भी जीवन की बहुत अच्छी सफलता है -खुद को समझना, खुद को परिपक़्व बनाना।
जब हम अपने अंदर की मनोस्थिति को समझने में कामयाब हो जाते है तो बाहरी परिस्थियों को सँभालने में भी निपूर्णता आने लगती है, बुद्धि सक्रीय होने लगेगी ,बुद्धि में निखार आने लगेगा। खुद को समझने से हम अपनी कमजोरियों को निकलने लगते है ,अपनी बुद्धि को अपना अच्छा दोस्त बनाइये क्यों की जीवन में इसकी जरुरत हर छड़ है। और जब हम खुद में सुलझे हुए हो जाते है , चाहे जिस भी वर्तमान पद पर है धीरे धीरे सफल होने लगते है।
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