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सेल्फ डिस्ट्रक्टिव थिंकिंग एंड बिहैवियर ( Self destructive thinking and behavior )


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सेल्फ डिस्ट्रक्टिव थिंकिंग एंड बिहैवियर ( Self destructive thinking and behavior ) :-
आज का दौर बड़े तेजी से सेल्फ डिस्ट्रक्टिव थिंकिंग एंड बिहैवियर के दौर से गुजर रहा है, आज अधिकतर लोग अपना आत्म संयम खो कर स्वयं ही अपना आत्मविनाश कर रहे है लेकिन जाने अनजाने वे सब लोग इस बात से अनजान है, कुछ उनकी व्यस्तता उनको अपने सेल्फ डिस्ट्रक्शन से अनजान कर दी है तो कुछ उनकी अपनी लापरवाही। आज अधिकांशतः लोग अपने मॉडर्न लाइफ स्टाइल में बाहरी चकाचौंध तो मेन्टेन कर ली है लेकिन अंदर जो खालीपन है उसको भरना भूल गए है। ये तो सभी जानते है सही सोच सही दिशा प्रदान करता है लेकिन उसके लिए आत्म शांति, मन का स्थिर रहना बहुत जरुरी है यदि मन स्थिर है, शांत है तो बहुत कुछ रोचक कर सकता है। 
पहले ज्यादातर लोग सेल्फ डिसिप्लिंड होते थे और अब ज्यादातर लोग सेल्फ डेसट्रक्टिव हो गए है, किसी अणु, परमाणु की जरूरत नहीं है,खुद ही लोगो ने अपना विनाश शुरू कर दिया है अपने अपरिपक़्व सोच के वजह से।  जिसका नुकसान उनको खुद अपना अच्छा स्वास्थ खो कर तनाव के रूप में भुगतना पड़ रहा है। कुछ तो प्राकृतिक रूप से हम सभी को परेशानी हो रही है तो कुछ स्वयं के द्वारा उत्पन्न किया जा रहा है। 
विषय, भाषा, जाती, विचार चाहे कुछ भी हो सबसे बड़ी परेशानी है की अब लोगो में सुनने, समझने की शक्ति कम होती जा रही है, कोई भी मुद्दा हो उसे समझने के बजाय ज्यादातर लोग तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है, यही कारण बनता जा रहा है सेल्फ डिस्ट्रिक्टिव थिंकिंग एंड बिहैवियर का जिसे समय पर सुलझाना अति आवश्यक है नहीं तो धीरे धीरे ये संस्कार के रूप में उभर आता है और हमारा संस्कार बन जाता है , और जब कोई आदत वर्षो तक अपना लिया जाता है तो उसी की हैबिट्स हो जाती है, जाने-अनजाने  ये गलत हैबिट्स सही लगने लगती है। 
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सेल्फ डिस्ट्रक्टिव थिंकिंग एंड बिहैवियर के कुछ सिम्पटम्स ( Symptoms) :
  1. किसी भी बात को समझने के बजाय तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दिखाना :- ये  ऐसी आदते है जिन्हे हम बेहद छोटा समझ कर इगनोर कर देते है। यदि इन्हे हम सही समय पर सुधार ले तो बहुत सारी बाते समय रहते संभल जाये और बहुत सी परेशानी से हम बच जाये। 
  2. बात बात में गुस्सा करना, क्रोधी स्वभाव को बनाना :- गुसा , क्रोध ये सुनने में शायद नार्मल लगते हो लेकिन इनका प्रभाव हमारे मन और फिर शरीर पे बहुत गहरा पड़ता है इसलिए जब भी कोई काम करे शांत दिमाग के साथ करे। 
  3. अपनी सोच में अशांति और बदला का भावना रखना :- सोच में जब अशांति, बदला, घृणा, किसी को निचा दिखाना आदि जैसे निम्न स्तर के भाव उत्पन्न होने लगते है तो उसका प्रभाव हमारे स्वास्थ पर पड़ने लगता है जिसका भुगतान अच्छा स्वास्थ खोकर या फिर मन में अशांति, नींद न आना, कोई अन्य प्रकार की परेशानी कुछ भी हो सकता है तो ऐसी आदते जो खुद को ही परेशानी में डाले उनसे जल्द ही खुद को दूर करे। 
  4. बिना सोचे समझे बोलना, कुछ भी बोलना :- आज बहुत से लोग इस गलत आदत के चलते अपने रिश्तो में तनाव पैदा कर ले रहे है, बिना सोचे और समझे किसी को कुछ बोलना किसी के अंतर्मन को ठेस पहुचना ये कोई समझदारी की बात नहीं है इसका नतीजा ये होता है की लोग वर्षो तक आपके उस गलत बोल , व्यवहार को याद रख कर आपकी एक गलत छवि बना लेते है और वर्षो तक नकारात्मक नजरिये से आपको याद करते है। 
  5. जरुरत से ज्यादा किसी का मजाक उड़ाना :- हर व्यक्ति का निजी कुछ स्वभाव होता है , मजाक उतना ही करे जितना सही लगे जरुरत से ज्यादा किसी का मजाक उड़ाना न ही मजाक उड़ाने वाले पे अच्छा लगता है न मजाक करने वाले पे। 
  6. बहुत ज्यादा सोचना, कुछ भी सोचना :- ये एक ऐसी आदत है जिसके अपनाने से समय की बर्बादी तो होती ही है , कई लोगो का तो जीवन भी बर्बाद हो जाता है। 
जागरूक और समझदार तो आप सभी है, जीवन आपका है इसलिए उसपे सम्पूर्ण अधिकार आपका है आप चाहे तो इस जीवन को संभाले या बिगाड़े। फैसला आपको करना है। जीवन को सही तरीके से जीना ये भी एक कला है जिसने ये जान लिया उसने सब कुछ पा लिया। 





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