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Happiness Vs Comfort ( ख़ुशी बनाम आराम )

Happiness Vs Comfort ( ख़ुशी बनाम आराम ) :-

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हैप्पीनेस और कम्फर्ट को ज्यादातर लोगो ने मिक्स कर दिया है , आप सभी में से अधिकतर लोग ऐसे होंगे जो कुछ न कुछ खरीदना पसंद करते होंगे , कुछ लोग तो शॉपिंग को लेकर बहुत एडिक्ट है , उन्हें हमेशा कुछ खरीदने की आदत है , कई तो ऐसे है जो ब्रांडेड सामान को खरीदना बहुत पसंद करते है वे इन ब्रांडेड सामानो की खरीदारी में अपनी शान समझते है। ज्यादातर लोग अपनी ख़ुशी को शॉपिंग या फिर घूमना फिरना या फिर महंगे होटल में खाना इसपे निर्भर कर दिए है। यदि वो अपनी मन वाली करने में असफल हो जाते है तो उन्हें बड़ी चिढ़ आने लगती है कई तो तनाव में भी चले जाते है।
आइये आप और हम समझते है की ये Happiness Vs Comfort क्या है।
सबसे पहले तो हमे यह बात समझ में आ जाना चाहिए की ख़ुशी नेचुरल है , खुश रहने के लिए हमे किसी सामान की जरुरत नहीं है। ख़ुशी खोजने की या फिर मांगने की चीज नहीं है , हमारे अंदर पहले से है, ख़ुशी हमारी सोच में है , ख़ुशी हमारी नेचर है ख़ुशी हम सबमे गॉड गिफ्टेड है। जाने अनजाने में हम सभी ने अपनी प्रोग्रामिंग गलत कर ली है , हमने मान लिया की यदि फला सामान ( स्मार्ट फोन , ब्रांडेड कपडे या फिर ब्रांडेड जूते , महंगी घडी,  महंगे होटल में खाना , घूमना फिरना आदि ) हमे मिल जाये तो हम खुश हो जायेंगे।
मान लिया की यदि आप को सारि वो वस्तुए मिल जाये तो आप खुश हो जायेंगे लेकिन कितना वक्त, एक दिन , दो दिन या फिर हमेशा। अब आप खुद से सवाल करे की ये वस्तु आपको वास्तविक ख़ुशी दे सकती है जवाब आपको खुद मिल जायेगा। ये सारे सामान आपके काम को आराम पहुंचा सकते है , यदि आपके पास कार है तो आपको अपने ऑफिस जाने में आसानी रहेगी , ऑटो करने में समय बरबाद नहीं होगा , कार आपको धुप और बारिश से बचाएगा , यानि आपके जीवन को कम्फर्ट प्रोवाइड होगा लेकिन ख़ुशी कैसे मिल सकती है। 
ऐसे बहुत लोग है जिनके पास बस उनके जरुरत के सामान है तो भी वह बहुत है अपने जीवन से क्यों की ख़ुशी हमारा स्वभाव है , ख़ुशी हमारी सोच में है। इसलिए आप ये ग़लतफ़हमी दूर कर दीजिये की आपको कोई प्रिय वस्तु मिल जाये तो आप खुश हो जायेंगे क्यों की ऐसा सोचने से आप अपनी खुशियों को डिपेंडेंट बना देते है और धीरे धीरे आप इतने डिपेंड हो जाते है की आपको जब तक वह वस्तु मिल न जाये आपका बेचैन हो जाते है। 
इसलिए कुछ छड़ के लिए पॉज ( ठहराव ) लीजिये और चेक कीजिये ,अपने मनचाहे वस्तु को लीजिये फिर से  पॉज लीजिये चेक कीजिये की क्या ये वस्तु आपको सच्ची ख़ुशी दे रही है , आप समझ जायेंगे की ये सिर्फ आपके काम को कम्फर्ट दे रही है , आपके लाइफ के स्ट्रगल ( संघर्ष ) को कम कर रही है। जैसे की यदि आपको मुंबई से तमिलनाडु ट्रैन में जाना है तो समय ज्यादा लगेगा लेकिन यदि आप फ्लाइट से जाते है तो जल्दी पहुंच जायेंगे यानि फ्लाइट से आपको जल्दी पहुँचने में सुविधा मिली।
इस प्रकार आप हैप्पीनेस और कम्फर्ट में अंतर समझ सकते है , जागरूक बने , अपने जीवन के हर पल का आनंद ले , खुश होकर जिये , खूब जिए। 

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