क्रोध वो अग्नि है जो क्रोध करते समय सबसे पहले स्वयं को जलाता है, बाद में उस व्यक्ति को जिसपे आप क्रोध कर रहे होते है ( अब ये उस व्यक्ति पर निर्भर करता है की वो आप के क्रोध को कितना स्वीकार कर रहा है ) इसलिए क्रोधी नहीं योगी बनो ताकि स्वयं के योग शक्ति द्वारा सम्पूर्ण संसार को प्रकाशित कर सको।
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Good
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