
जिस प्रकार से यदि किसी काँटेदार वृक्ष का बीज जमीन में बोया जाता है तब वृक्ष भी काँटा वाला उगता है उसी तरह हमारे कर्मो का फल भी होता है,यदि कर्म किसी को दुःख देने वाले है,पीड़ा देने वाले होते है, किसी का बुरा सोच रखने वाला है तो उस कर्म का फल यानि उस मनुष्य का प्रालब्ध भी दुखदायी होता है।
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