मन को कंट्रोल कैसे करे :-
मन को कंट्रोल करने से पहले मन होता क्या है ये हमे समझना होगा। मन ,माइंड को कहा जाता है जिसका काम है विचारो को उत्पन्न करना। विचार (means thoughts ) कुछ न कुछ सोचते रहना ही मन का काम है। मन एक पल में हि हमे खुश कर देता है अगले ही पल दुखी कर देता है। मन कभी किसी के प्रति प्रेम के भाव उत्पन्न करता है तो कभी नफ़रत भी पैदा करता है। मन कुछ न कुछ सोचते रहता है क्यों की सोचना ही मन का काम है और भाषा &विचार से ही ये मन बना होता है। कभी कभी हमारे विचार हमे दुखी कर देते है तो कभी कभी हमारे विचार हमें ऊर्जा से भरपूर कर देते है। इसीलिए कहा भी जाता है विचार बनाये जिंदगी। ये विचार ही है जो हमे या तो कुछ खाश बना देते है या फिर बेकार बना देते है क्यों की जब भी हम कोई कर्म करते है मीन्स एक्शन लेते है तो सबसे पहले हम सोचते है। सोचने के बाद उसे हम एक्शन्स में लाते है और वो एक्शन नेगेटिव या पॉजिटिव कुछ भी हो सकते है। फिर इन्ही एक्शन के द्वारा धीरे धीरे हमारे संस्कार बनने लगते है और वो संस्कार अच्छे भी हो सकते है और ख़राब भी हो सकते है।
यदि हमारा विचार शांत टाइप का है तो व्यवहार भी हमारा शांत होगा और यदि विचार क्रोध वाला है तो बिहैवियर भी क्रोधी होगा। विचारो के अच्छे या बुरे होने का बहुत सारा वजह होता है जैसे की पास्ट की घटनाये जो हमारे मेमोरीज में रिकॉर्ड हो गई है यदि ये पास्ट मेमोरीज अच्छी है तो बिहेवियर भी बहुत स्वीट सा होता है और यदि नेगेटिव है तो मन बड़ा अशांत सा हो जाता है।
अब इसके आगे हमे ये समझना होगा की हम अपने मन का एक अच्छा लेवल कैसे बनाये इसे सही और ऊर्जा से भरपूर विचारो पे कैसे ले जाये। तो इसके लिए हमे सबसे पहले यह समझना होगा की अपने विचारो के जन्म दाता हम स्वयं है और हमे खुद ही इनिशिएटिव होना पड़ेगा अपने विचारो को पूर्ण रूप से सकारात्मक बनाने में। उसे सही दिशा में ले जाने में। हमने कई बार सुना भी है मन तो बच्चा है और इस मन रूपी बच्चे को बार बार समझाना पड़ता है। सही दिशा देना पड़ता है।
हमने भगवतगीता में पढ़ा भी है मन इस संसार की सबसे अशांत चीज है ये भाषा और विचारो से बना है और इनसे जितने के लिए हमे समय -समय पे मौन की प्रैक्टिस करनी होगी। मौन मतलब जहा मन यानि हमारे विचार शांत है और अपना ध्यान विचारो की बजाय सांसो की गति पर लाना होगा।
दूसरा तरीका है ट्रैफिक कंट्रोल -जब विचारो की गति तेज हो जाये तो उसे शांत करने के लिए कुछ मिनट के लिए मौन हो जाये यानि सोचना बंद कर दे ,कम्पलीट शांत हो जाये। इस प्रकार हम अपने मन को ट्रेंड करके उसे सही डायरेक्शन दे सकते है।
इसके अलावा योग ,ध्यान, प्राणायाम और कुछ एक्सरसाइज है जिसके जरिये मन को सही दिशा दिया जा सकता है। एक बात जो सबसे जरुरी है जान लें मन को कण्ट्रोल करने की कोई विधि नहीं होती है क्यों की मन का काम ही है विचारो का सृजन करना ,विचारो को उत्पन्न करना। यह सागर जैसा है जिसमे लहरे उठती है और बाद में शांत हो जाती है। हम सही और गलत विचारो को चूज कैसे करे और अपने जीवन को खुशहाली भरा बनाये ये सब हमारे हाथ में है।
मन को कण्ट्रोल करने की बजाय उसे करेक्ट डारेक्शन में थॉट्स प्रोडूस करना सिखाये जिससे हमारे चारो तरफ एक अच्छा वायुमण्डल बने। पॉजिटिव ऊर्जा ट्रांसफर हो। और हम पॉजिटिव रह सके।
व्यस्त रहना सीखें। ताकी मन को कोई काम मिल जाये और उसका ध्यान कुछ प्रोडक्टिव काम में लग जाये। मन जब फ्री होगा तभी पास्ट या फिर फ्यूचर में जायेगा यदि उसे आप बिजी रहना सीखा दिए यानि स्वयं को व्यस्त कर दिए तो उसका ध्यान उस काम में चला जायेगा और इसप्रकार वह अनप्रोडक्टिव थॉट्स क्रिएट करना कम कर देगा। आप स्वयं ही अपने मन को सही डायरेक्शन देने के ट्रेनर बनिए और उसे कुछ काम में व्यस्त रखिये।
व्यस्त रहना सीखें। ताकी मन को कोई काम मिल जाये और उसका ध्यान कुछ प्रोडक्टिव काम में लग जाये। मन जब फ्री होगा तभी पास्ट या फिर फ्यूचर में जायेगा यदि उसे आप बिजी रहना सीखा दिए यानि स्वयं को व्यस्त कर दिए तो उसका ध्यान उस काम में चला जायेगा और इसप्रकार वह अनप्रोडक्टिव थॉट्स क्रिएट करना कम कर देगा। आप स्वयं ही अपने मन को सही डायरेक्शन देने के ट्रेनर बनिए और उसे कुछ काम में व्यस्त रखिये।
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