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मानसिक डर और इसका इलाज

 मानसिक डर और इसका इलाज -

आज के दौर में हर मनुष्य के अंदर किसी न किसी प्रकार का डर व्याप्त है। मनुष्य का मन कुछ न कुछ विचारो को उत्पन्न करता है, कभी कभी उसके अपने ही विचार उसे भयभीत करने लगते है , डर उसे अपने ही कमजोर विचारो से होता है , यदि आप इस डर पर ध्यान दे तो अधिकतर ये डर काल्पनिक होता है यानि कुछ बीते दिन की घटनाये या फिर भविष्य की असुरक्षा, अपने द्वारा किये गए गलत कर्म और यदि संबंधो में मधुरता न हो, परिवार के लोगो में आपसी मेलजोल न हो तो भी असुरक्षा के रूप में डर का जन्म होता है। डर काल्पनिक होता है यानि ओवरथिंकिंग के जरिये भी मनुष्य डरने लगता है। कई बार तो इस डर का हमारे मन पर इतना ज्यादा प्रभाव पड जाता है की वो कुछ सकारत्मक सोच को जन्म ही नहीं दे पाता है और स्वयं के पतन में लग जाता है। 

डर जितना बड़ा है, उतना ही आप कमजोर बनते जाते है, स्थिति -परिस्थिति जो भी हो पर यदि मनुष्य स्वयं को कमजोर बना दे और डर को बड़ा कर दे तो स्वयं से ही वो हारने लगता है, छोटी छोटी परिस्थितिया भी भारी बन जाती है, निर्णय शक्ति कमजोर होने लगती है, मन व्याकुल रहने लगता है, हर तरफ असुरक्षा महसूस होने लगता है।इसलिए डर को जानने और समझने की कोशिश कीजिये, स्वयं को विजयी बनाइये , डर को भगाइये।  

मनोविज्ञान के अनुसार देखे तो यदि हम अपने अंदर अपार शक्तियों को जागृत करने लगे तो आपके अंदर जो भी शक्तिया मर्ज रूप में है वो सारी इमर्ज हो जाएगी और यदि डर को बढ़ावा देंगे तो डर जागॄत रहेंगी यानि सबकुछ आपके हाथ में है। स्वयं को मजबूत बनाइये , डर आपके कमजोर संकल्प है , आप अपने संकल्पो के मालिक है, स्वयं के मालिक बनिए , स्वयं के शक्तियों को जागृत कीजिये। 

जब भी विचारो का तूफान आपके अंदर उठे तो उसे साक्षी भाव से देखना शुरू करे जैसे ही आप अपने विचारो को देखने लंगेगे, विचार शांत हो जायेंगे, मन को शांत रखने की आदत डालिये , ओवरथिंकिंग को स्टॉप कीजिये , मोर इनफार्मेशन से बचिए। 

काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलिए, स्वयं पर, इस प्रकृति पर, अपने इष्ट देव पर विश्वास कीजिये। रोज ढृढ़ संकल्प कीजिये आपके साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा। अपने भावनाओ को शुद्ध रखिये, जिंदगी जीने के लिए है , सोचने के लिए नहीं। 

प्रकृति का नियम है जो भी आप सोचते है या करते है भरपूर मात्रा में वही आपके पास लौट कर आता है तो अच्छा सोचिये और अच्छा कीजिये। स्वयं को परखिये , पर- दर्शन छोड़िये , खुद से जुड़िये , आप खुद में बहुत विशेष है। मान लीजिये आपके साथ सब कुछ बहुत-बहुत अच्छा ही होगा। 


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