Thought is the food of mind |
विचार यदि दिखने लगे तो कई अपराध होने से रुक जाये। विचार बड़े हाई क्वॉलिटी के भी है जिसमे सोच सुलझा हुआ, शुद्ध होता है और विचार निम्न स्तर यानि लो क्वालिटी के भी होते है जिसमे ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, छल-कपट आदि होते है। अच्छे स्तर पे क्रिएट किये गए थॉट यदि किसी का भला(Good) नहीं कर सकते तो बुरा (Bad) तो बिलकुल नहीं करते है। और निन्म स्तर (Low Quality), हीन भाव (Inferiority Complex) से उत्पन्न विचार फिर उसका कर्मो में आना तो हम सभी देख ही रहे है चारो तरफ कितने भ्रष्टाचार(Corruption) उत्पन्न हो गए है, जुर्म (Crime), बलात्कार(Rape) और भी ऐसे गंदे माहौल वाला वातारण इस जिव मंडल पे फैल रहा है जिससे जिव मंडल दूषित होता जा रहा है।
जैसा हम सोचते है वैसा हम बनते है (We make what we think),आप जो सोचेंगे वही बनेगे ये परम सत्य है। आज विचारो की शुद्धता (Purity) की कमी ने रिश्तो में स्वार्थ (Selfishness) पैदा कर दिआ है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो आप अंदाजा लगा सकते है आने वाला समय कैसा होगा।
अब बात आती है विचारो में शुद्धता (Accuracy) क्यों जरुरी है , शुद्ध (Pure) विचार क्या है और इसके फायदे क्या है ? जब भी कोई विचार हमारे मन में आते है तो वो अच्छी या बुरी अनुभूति कराते है , और उसी के अकॉर्डिंग हमारा व्यवहार बन जाता है। जितना ज्यादा हमारे विचारो में शुद्धता होगी उतना ही हमारे आस पास का वायुमंडल शुद्ध होगा और इसका फायदा (Benefits) हमे स्वयं को और हमसे जुड़े लोगो को मिलेगा। मनुष्य जिव मंडल का एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसमे सोचने समझने की शक्ति है, अच्छा, बुरा सब कुछ वह समझ सकता है लेकिन ये बात अलग है की दिन प्रतिदिन अपने सोच के प्यूरिटी के स्तर को वो घटा रहा है, स्वार्थ भाव डेवेलप करता जा रहा है, छल कपट, धोखा-धड़ी जैसे हिन् भाव वाले विचार ज्यादा होने से समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार को आप सभी देख के समझ सकते है की ये सभी कही ना कही विचारो में गिरावट के वजह से हुई है और यदि इन सभी से हमे मुक्त होना है, एक अच्छे समाज का निर्माण (Construction) करना है तो सुधार हमे खुद से करना होगा क्यों की सबसे पहले अगर हम किसी को सुधार सकते है तो वो है हम खुद।
यदि हमने अपने विचारो में शुद्धता, एक्यूरेसी ला दी यानि हमारे अंदर अच्छे विचारो का क्रिएशन (जन्म ) शुरू हो जाये तो जीवन अद्भुत हो जायेगा, इसका परिणाम आपको कुछ ही दिन में मिलना शुरू हो जायेगा। आप महसूस करेंगे की आप कितना सुकून महसूस कर रहे है। आपका जीवन शांत होता जायेगा और सबसे ज्यादा जरुरी ये की आपके आस पास का वायुमंडल अद्भुत हो जायेगा। आपसे मिल कर हर कोई सुकून महसूस करेगा लेकिन इसका अभ्यास की आपके विचार शुद्ध बने आपको लगातार बिना हार माने रोज करना होगा। हरेक के प्रति शुभ-भावना लाना होगा, वसुधैव कुटुम्बकम की भावना लानी होगी की सारा ब्रह्मण्ड एक परिवार है और कोई अपने परिवार का बुरा कैसे सोच सकता है। अपने परिवार का तो हर कोई भला चाहता है।
एक और महत्वपूर्ण बात जब रोज हम अपने पेट को अच्छा भोजन देना चाहते है तो अपने मन को अच्छा भोजन क्यू न दे। मन का विचार रूपी भोजन तो इतना उत्तम होना चाहिए की हमारे शरीर के अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और उस सकारात्मक ऊर्जा के जरिये जीवन सार्थक हो जाये।
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