Header Ads Widget

Responsive Advertisement

रिश्तों में संकट (Relationship Crisis)

Image result for lord krishna and his mother images

हाल ही में मुंबई में एक करोड़पति स्त्री का शव,जो की एक करोड़पति NRI पुत्र की माँ थी,उस स्त्री के करोडो के फ्लैट में मिला। ये महिला लगभग 10 महीने से अपने 7 करोड़ के फ्लैट में मरी पड़ी थी और उनके पुत्र को इस बात की जानकारी भी नहीं था। NRI करोड़पति पुत्र को इस बात का पता तब लगा जब वह लगभग 10 महीने बाद अपने घर इण्डिया मुंबई आया। अमेरिका में रहने वाले ऋतूराज साहनी की माँ आशा साहनी अकेले ही अपने करोडो के फ्लैट में कब गुजर गई यह बात उनके पुत्र ऋतुराज साहनी को बहुत देर में पता चली ,उनकी माँ अपने बेटे का राह देखते ईश्वर को प्यारी हो गई। उनके बेटे की समझ भी देखिये लगभग 10 महीनो से बूढी माँ मरी पड़ी है , बेटे को एक बार भी इस बात की चिंता नहीं हुई की मै अपने माँ का हाल फ़ोन पे पूछ लू ये आज के युवा की व्यस्तता है। 
23 अप्रैल 2016 को माँ ने अपने बेटे से कहा भी की अब अकेले नहीं रहा जाता या तो मुझे वृद्धाश्रम में रख दो या अपने साथ अमेरिका ले चलो। अब आप जरा उस माँ की लाचारी देखिये की अपने ही पुत्र से माँ वृद्धाश्रम छोड़ने की बात कह रही है क्यों की वहा उनके उम्र के कुछ लोग मिलेंगे जिनके साथ वह बाते कर सकती है , हस बोल सकती है ,उन्हें करोडो की सम्पति नहीं अपनों का साथ चाहिए और यदि अपने समय देने में असफल है तो वृद्धाश्रम के गैर भी चलेंगे क्यों की उनके साथ उनको अकेलापन महसूस नहीं होगा, खैर ये सपना उनका अधूरा ही रह गया क्यों की बेटे की व्यस्तता ने उन्हें न उन्हें बेटे का ही साथ दिआ और न ही वृद्धाश्रम के लोगो का ही वो साथ पायी शायद ईश्वर को अपने पास बुलाना ही उचित लगा।
आज के समाज के लोग इतने प्रोफेशनल हो गए है की घर में भी उन्हें ऑफिस जैसा तहजीब वाला माहौल चाहिए। आज का समय ये है की अपनों से मिलने के लिए भी पूछना पड़ता है, बेटे ने इतने लम्बे समय (लगभग सवा साल ) तक बात नहीं की हो सकता हो  उसे सच में समय न मिला हो या फिर उसकी कोई मज़बूरी हो पर क्या इतना अमीर होने पर भी इनके पास दोस्तों की इतनी कमी थी की ये किसी दोस्त को भी अपने घर नहीं भेज पाए की उनकी माँ की हालत ठीक है या नहीं ये चेक कर ले। जब कोई जॉब अपने देश से बाहर होता है तो वहा के कुछ प्रोसेस होते है , कई रूल्स एंड रेगुलेशंस को फॉलो करना होता है जिस वजह से छूट्टी मिलने में समय लगता है लेकिन इंडिया में सभी के कई रिश्तेदार होते है जिनके मदद से देश के बाहर बसे NRI लोग अपने घर के वृद्ध लोगो का कुशल मंगल जान सकते है यदि उनका फ़ोन किसी कारण वश नहीं लग रहा है। खैर ये उनके परिवार का आपसी मामला है, उसमे हमे कुछ कहने का कोई अर्थ नहीं है लेकिन यदि हम सब एक एक करके यही सोच के किनारा करते जाये तो ऐसे दर्द भरे सिंगल पैरेंट (किसी स्त्री का पति नहीं है तो किसी पति की पत्नी नहीं रही ) उनके लिए आवाज उठाएगा कोन की इन्हे अकेला मत छोडो किसी को तो इनकी जिम्मेदारी सौपो।
आज के इस मॉडर्न लाइफ के दौर में लोगो में इतना ज्यादा मैंनेर आ गया है की उनके माता-पिता को अपने ही बच्चो से बात करने के लिए 10 दफा सोचना पड़ रहा है। 
आशा साहनी 10 वे फ्लोर पे रहती है उनके दो फ्लैट थे 10 वे फ़्लोर पे 10 महीने से एक महिला अपने कमरे में बंद पड़ी है, गुजर चुकी है लेकिन उस बिल्डिंग के लोगो के मन में एक बार भी यह विचार नहीं आया की चलो हम देखते है , आवाज देते है या फिर पुलिस को ही सूचित कर दे ताकि उसकी पूछताज हो सके लेकिन नहीं लोग तो अब मॉडर्न विचारधारा के हो गए है की हमें क्या मतलब, हम अपना ही देख ले यही बहुत है ( This is not my cup of tea) हमे इनसे क्या।
ऐसी घटनाये धीरे धीरे अब आम बनती जा रही है, लोग अपनी लाइफ को इस कदर एन्जॉय कर रहे है की सिवाय कितने ज्यादा सामान बाजार (मॉल) से लाकर अपने घर को सजा दे, कितने महंगे ब्रांडेड कपडे पहन कर खुद को सजा दे, कितना थिरक ले, कितना चहक ले इससे ज्यादा कुछ सोच ही नहीं पा रहे है।
इस पृथ्वी पे जल संकट में आ गया , वायु अब शुद्ध नहीं रहा, ऑक्सीजन संकट आ गया, पांचो तत्व (जल ,पृथ्वी ,आकाश , अग्नि , वायु ) दूषित हो गए है,संकट में आ गए है पर अब तो जैसे सोचने समझने की शक्ति ही नहीं रही, सोच भी संकट में आ गया है, बोल भी संकट में आ गए है यहा तक की रिश्ते-नाते , सम्बन्ध, विचार, दया, प्रेम सब संकट में आ गया है, फिर भी हम सब सोये है क्यों की ये कहानी हमारे घर की नहीं है, किसी और के घर की है।
आप इतना तो कर सकते है की यदि आपके आस पास कोई वृद्ध या फिर सिंगल पैरेंट अकेले रहते है तो उनका खैरियत, समाचार अपने घर का मेंबर समझ कर पूछ लीजिये। कभी कभी उनको चाय , कॉफी ऑफर कर दीजिये। यदि वो बीमार है तो उन्हें मेडिसिन उपलब्ध करा दे और उनके परिवार को उनके बारे में सूचित कर दे।यदि वो पुरे दिन घर से बाहर नहीं निकले है तो उनका दरवाजा नॉक करके उनका हालचाल पूछ ले नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब आप और हम भी सच्ची मानवता को ढूढ़ने लग जायेंगे क्यों की मानवता भी संकट में आ गया है।
इस पोस्ट को लिखकर मेरा मकसद किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाना नहीं है क्यों की ये किसी के घर का आपसी पारिवारिक मामला है, किसी की शायद मज़बूरी हो सकती है लेकिन हम स्वयं की उलझनों में इतना भी ना उलझे की उनके लिए अपना समय न दे सके जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की छोटी बड़ी ख़ुशी सिर्फ हम और आप के लिए खो दी। ये वृद्ध महिला या पुरुष हम में से किसी के भी माता पिता हो सकते है। हमे उन्हें नजरअंदाज किसी भी हाल में नहीं करना है।
वसुधैव कुटुंबकम की भावना अपने मन में लानी होगी, इस भाव को जिन्दा करना होगा की ये सारा विश्व हमारा परिवार है, ताकि हम सभी अपने मदद का हाथ जिन्हे जरुरत है उन को दे पाए।


Post a Comment

0 Comments