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बचत एक संस्कार


 बचत एक संस्कार -




संस्कार के बहुत से पहलू होते है , बचपन से ही माता-पिता बच्चो को छोटी बड़ी हर बात की समझ संस्कार रूप में देते है ताकि उनमे हर बात की समझ विकसित  हो। बचत की भावना अपने जीवन में अपनाना भी एक संस्कार है इसे जितना जल्दी सही रूप में हम सभी समझ जाये इकॉनोमी की समझ उतना जल्दी हम सभी में आ जाये। 

बचत बस पैसो, रुपयों का ही नहीं और भी बहुत सी चीजों का करना जरुरी है क्यों की आज के इस आधुनिक युग में सब कुछ कीमती होता जा रहा है। 

समय की बचत - समय से ज्यादा अनमोल कुछ भी नहीं। इसलिए कहा जाता है समय का सदुपयोग करो इसे व्यर्थ मत गवाओ , जीवन सफल उन्ही का हुआ जिसने समय का यूज़ किया। 

संकल्पो की बचत - विचारो के बारे में बात करे तो इनका तो जैसे मन में तूफान आया होता है यदि इनपे ध्यान न दिया जाये तो हर सेकंड बहुत फ़ास्ट गति से कही भी पहुंच जाती है इसलिए इन विचारो पर ध्यान केंद्रित कर के इन्हे कम से कम उत्पन्न करे। 

पानी की बचत - आज कल हर जगह जल संकट को लेकर सबका ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, पहले कुए, तालाब जहा भरे दिखते थे वही अब सब सूखते जा रहे है इसलिए स्वयं में ये स्वभाव विकसित कीजिये की किसी चीज/ वस्तु का उतना ही यूज करे जितना उसका आवश्यकता हो। 

पेट्रोल की बचत - पेट्रोल /तेल की दरे दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है, हर समय वाहनों का यूज़ प्रदुषण को बढ़ाता है साथ ही हमारे स्वास्थ को भी ख़राब करता है इसलिए जहाँ जरूरत हो वही वाहनों का यूज़ करे। छोटे-मोटे काम के लिए पैदल जाये जिससे स्वास्थ आपका अच्छा रहे। 

तनाव से बचे - तनाव मन को और हमारे शरीर को भारी करता है , कई बार तो तनाव गंभीर बीमारी का रूप भी लेता है इसलिए तनाव को अपने जीवन में नो एन्ट्री कहे। ध्यान दे इस बात पर की इस प्लेनेट पर कोई भी मनुष्य और प्राणी की स्थिति -परिस्थिति उसके अनुरूप नहीं है।  आप कब तक बाहरी तत्वों पर स्वयं को निर्भर रखेंगे, याद रखिये आप आत्म स्वरुप में हर पर शांत स्वरुप है, आनंद स्वरुप है आप आज़ाद है खुश रहने के लिए इसलिए हर पल खुश रहिये। 

फिजूल खर्च से बचे - आज के समय में लोगो ने अपनी इच्छाओ को इतना बढ़ा दिया है की उनमे असंतुष्टता विकसित होने लगा है, खुशिया उनमे से कम हो रही है लोग अपनी खुशिया साधनो में ढूंढ रहे है इसलिए वो दिन प्रतिदिन साधनो की तरफ आकर्षित होने लगे है और साधनो को इकठ्ठा करने में लग गए है जिससे फिजूल खर्चे का उन्हें आदत पड़ गया है और इस वजह से कभी कभी वो भारी मुश्किलों में भी पड़ जा रहे है तो इस बात को समझते हुए खुद को समझदार बनाये और फिजूल खर्चे से बाहर निकले। 

इस प्रकार आप समझ सकते है की बचत कोई कंजूसी या फिर शर्मिंदगी महसूस करने वाली सोच नहीं है जीवन को सही तरीके से जीने की कला है जो भी रिसोर्सेज हमारे यूज़ के लिए है उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी रखना है ताकि उनका जीवन भी सहज बने। 

धन्यवाद 





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